UP Board Class 10 Hindi Chapter 5 Solution: स्वागत है! अगर आप Class 10 Hindi Gadya Khand के पाठ 5 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' (Irshya Tu Na Gayi Mere Man Se) के सम्पूर्ण हल, प्रश्न-उत्तर और व्याख्या की तलाश में हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए 'गोल्डमाइन' है।
यहाँ हमने पिछले 10 वर्षों (2014-2024) के पेपर्स का विश्लेषण करके Ramdhari Singh Dinkar जी के इस पाठ को सबसे सरल और सटीक तरीके से समझाया है, ताकि आप बोर्ड परीक्षा में 95+ अंक हासिल कर सकें।
1. लेखक परिचय: रामधारी सिंह 'दिनकर' (Ramdhari Singh Dinkar Jivan Parichay)
(महत्वपूर्ण: यह प्रश्न बोर्ड परीक्षा में 5 अंक का आता है)
अक्सर छात्र जीवन परिचय में बहुत बड़ी कहानी लिख देते हैं। परीक्षक (Examiner) केवल मुख्य तथ्य देखते हैं। नीचे दी गई सारिणी (Table) का प्रयोग करें:
संक्षिप्त परिचय (Biography Table)
| बिंदु | विवरण |
| नाम | रामधारी सिंह 'दिनकर' |
| जन्म | 30 सितम्बर, 1908 ई० |
| जन्म स्थान | सिमरिया, जिला-मुंगेर (बिहार) |
| पिता | श्री रवि सिंह |
| माता | श्रीमती मनरूप देवी |
| शिक्षा | बी.ए. (पटना विश्वविद्यालय) |
| मुख्य विधा | निबंध, संस्कृति, आलोचना, काव्य |
| प्रमुख रचनाएँ | गद्य: अर्धनारीश्वर, संस्कृति के चार अध्याय, वट पीपल काव्य: उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, हुंकार |
| भाषा-शैली | शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली, ओजपूर्ण, विवेचनात्मक |
| पुरस्कार | ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी, पद्मभूषण |
| मृत्यु | 24 अप्रैल, 1974 ई० |
साहित्यिक परिचय (Literary Contribution)
दिनकर जी हिंदी साहित्य के 'अनले कवि' माने जाते हैं। वे छायावादोत्तर काल के सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं। उनकी गद्य रचनाओं में भी वही ओज और प्रवाह है जो उनकी कविताओं में मिलता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना पर विशेष बल दिया है।
2. महत्वपूर्ण गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या (Gadyansh Ki Vyakhya)
(महत्वपूर्ण: परीक्षा में 6 अंक - 2+2+2)
यहाँ पाठ के सबसे महत्वपूर्ण गद्यांश (Passages) दिए गए हैं जो UP Board Exam में बार-बार पूछे जाते हैं।
गद्यांश 1:
"ईर्ष्या की बड़ी बेटी का नाम निंदा है। जो व्यक्ति ईर्ष्यालु होता है, वही बुरे किस्म का निंदक भी होता है। दूसरों की निंदा वह इसलिए करता है कि इस प्रकार दूसरे लोग जनता अथवा मित्रों की आँखों से गिर जाएँगे और जो स्थान रिक्त होगा, उस पर मैं अनायास ही बैठा दिया जाऊँगा।"
संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'हिन्दी' के गद्य-खण्ड में संकलित 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' नामक निबंध से अवतरित है। इसके लेखक रामधारी सिंह 'दिनकर' हैं।
प्रसंग: लेखक ने यहाँ बताया है कि ईर्ष्या और निंदा (बुराई) में गहरा संबंध है। ईर्ष्यालु व्यक्ति अपना भला करने के बजाय दूसरों का बुरा करने में समय नष्ट करता है।
व्याख्या (Explanation):
दिनकर जी कहते हैं कि ईर्ष्या और निंदा सगी बहनों की तरह हैं। जिस व्यक्ति के मन में ईर्ष्या (जलन) पैदा होती है, वह स्वभाव से ही निंदक (बुराई करने वाला) बन जाता है। वह हर समय दूसरों की कमियाँ ढूँढता रहता है। उसकी सोच यह होती है कि अगर वह दूसरों की बुराई करके उन्हें समाज और मित्रों की नज़रों में गिरा देगा, तो उनका स्थान खाली हो जाएगा और वह उस ऊँचे स्थान पर आसानी से बैठ जाएगा। लेकिन यह उसकी भूल है, क्योंकि उन्नति अपनी मेहनत से होती है, दूसरों को गिराने से नहीं।
विशेष (Exam Booster):
भाषा: सरल और प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली।
लेखक ने मनोवैज्ञानिक सत्य का उद्घाटन किया है कि निंदा का मूल कारण ईर्ष्या है।
गद्यांश 2:
"मगर ऐसा न आज तक हुआ है और न होगा। दूसरों को गिराने की कोशिश तो अपने को बढ़ाने की कोशिश नहीं कही जा सकती। एक बात और है कि संसार में कोई भी मनुष्य निंदा से नहीं गिरता, उसके पतन का कारण सद्गुणों का ह्रास होता है।"
रेखांकित अंश की व्याख्या (Underlined Explanation):
लेखक का कहना है कि दुनिया का यह नियम है कि कोई भी व्यक्ति दूसरों को नीचे गिराकर खुद ऊपर नहीं उठ सकता। अगर हम किसी की बुराई करते हैं, तो इससे हम महान नहीं बन जाते। लेखक यह भी स्पष्ट करते हैं कि किसी भी मनुष्य का पतन (Downfall) लोगों द्वारा की गई बुराई से नहीं होता, बल्कि जब वह अपने अच्छे गुणों (सद्गुणों) को छोड़ देता है, तब उसका पतन होता है। इसी प्रकार, उन्नति भी तभी होती है जब हम अपने गुणों और चरित्र का विकास करें।
गद्यांश 3:
"ईर्ष्या का काम जलाना है, मगर, सबसे पहले वह उसी को जलाती है, जिसके हृदय में उसका जन्म होता है। आप भी ऐसे बहुत-से लोगों को जानते होंगे, जो ईर्ष्या और द्वेष की साकार मूर्ति हैं..."
व्याख्या:
ईर्ष्या आग के समान है। जैसे आग जिस लकड़ी से पैदा होती है, उसे ही जला देती है; वैसे ही ईर्ष्या जिस मनुष्य के मन में पैदा होती है, सबसे पहले उसी का सुख-चैन, मानसिक शांति और खुशी नष्ट कर देती है। ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों के सुख को देखकर दुखी रहता है और खुद को ही अंदर ही अंदर जलाता रहता है।
3. कठिन शब्दों के अर्थ (Shabdarth - Word Meanings)
पाठ को सही से समझने के लिए इन शब्दों का अर्थ जानना ज़रूरी है:
अनायास: बिना परिश्रम के (Easily)
मृदुल: कोमल (Soft)
ह्रास: कमी या पतन (Decline)
अभ्युदय: उन्नति (Progress)
निहित: छिपा हुआ (Hidden)
अपव्यय: फिजूलखर्ची (Waste)
4. पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-उत्तर (Textbook Question Answer)
ये प्रश्न UP Board Examination के लिए अति-लघु और लघु उत्तरीय श्रेणी में महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न 1: ईर्ष्या का अनोखा वरदान क्या है?
उत्तर: ईर्ष्या का अनोखा वरदान यह है कि जिस मनुष्य के पास जो वस्तुएँ हैं, वह उनसे आनंद नहीं उठाता, बल्कि उन वस्तुओं से दुख उठाता है जो दूसरों के पास हैं।
प्रश्न 2: 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' पाठ में लेखक ने मुख्य रूप से किस पर विचार किया है?
उत्तर: इस पाठ में लेखक ने मानव चरित्र की सबसे भयानक बुराई 'ईर्ष्या' के स्वरूप, उससे होने वाली हानियों और उससे बचने के उपायों पर मनोवैज्ञानिक ढंग से विचार किया है।
प्रश्न 3: दिनकर जी ने ईर्ष्या से बचने का क्या उपाय बताया है?
उत्तर: दिनकर जी ने ईर्ष्या से बचने का उपाय 'मानसिक अनुशासन' बताया है। व्यक्ति को उन वस्तुओं की लालसा छोड़ देनी चाहिए जो उसके पास नहीं हैं और अपनी तुलना दूसरों से करना बंद कर देना चाहिए। उसे रचनात्मक कार्यों में मन लगाना चाहिए।
प्रश्न 4: "चिंता को लोग चिता कहते हैं"—स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: चिंता और चिता में केवल एक बिंदी का अंतर है। चिता तो केवल मुर्दे (मृत शरीर) को जलाती है, लेकिन चिंता जीवित व्यक्ति को तिल-तिल करके जलाती रहती है, जिससे उसकी जीवन शक्ति क्षीण हो जाती है।
📝 पाठ 5: ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से
Score: 0 / 15
1. 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' पाठ के लेखक कौन हैं?
2015, 2019, 2022
सही उत्तर: (C) रामधारी सिंह 'दिनकर'
💡 टिप: इन्हें 'समय सूर्य' और 'अनल कवि' भी कहा जाता है।
2. लेखक ने 'ईर्ष्या की बड़ी बेटी' किसे कहा है?
Most Imp: 2016, 2020
सही उत्तर: (B) निंदा को
💡 टिप: ईर्ष्यालु व्यक्ति ही सबसे बड़ा निंदक होता है।
3. दिनकर जी के अनुसार 'ईर्ष्या' से बचने का सर्वोत्तम उपाय क्या है?
2015, 2021, 2024
सही उत्तर: (B) मानसिक अनुशासन
💡 टिप: फालतू बातों को छोड़कर अपने काम पर ध्यान देना ही अनुशासन है।
4. ईर्ष्या का काम 'जलाना' है, मगर सबसे पहले वह किसे जलाती है?
2017, 2022
सही उत्तर: (B) स्वयं ईर्ष्यालु व्यक्ति को
💡 टिप: यह उस आग की तरह है जो अपने ही घर को जलाती है।
5. "चिंता को लोग चिता कहते हैं"—दोनों में मुख्य अंतर क्या है?
Model Paper 2025
सही उत्तर: (B) चिता मुर्दे को, चिंता जीवित को
💡 टिप: चिंता जीवित इंसान को तिल-तिल कर मारती है।
6. 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' गद्य की किस विधा की रचना है?
2019, 2023
सही उत्तर: (C) निबंध
💡 टिप: यह एक विचारात्मक और मनोवैज्ञानिक निबंध है।
7. लेखक ने 'ईर्ष्या' का एक उदाहरण किस पेशे के व्यक्ति का दिया है?
2020, 2023
सही उत्तर: (B) वकील
💡 टिप: वकील साहब अपने पड़ोसी बीमा एजेंट से जलते थे।
8. मनुष्य के पतन (Downfall) का मुख्य कारण क्या है?
Prediction 2025
सही उत्तर: (C) सद्गुणों का ह्रास
💡 टिप: इंसान निंदा से नहीं, बल्कि अपने अच्छे गुण खोने से गिरता है।
9. "तुम्हारी निंदा वही करेगा, जिसकी तुमने भलाई की है"—यह कथन किसका है?
High Difficulty
सही उत्तर: (A) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर
💡 टिप: बच्चे अक्सर इसे दिनकर जी का कथन मान लेते हैं, पर यह विद्यासागर जी का है।
10. ईर्ष्या का अनोखा वरदान क्या है?
Important
सही उत्तर: (B) जो पास है उसका आनंद न लेना
💡 टिप: ईर्ष्यालु व्यक्ति अपने सुख को भूलकर दूसरों के सुख से दुखी होता है।
11. नीत्शे (Nietzsche) ने 'सुपरमैन' को किससे बचने की सलाह दी है?
UP Board 2018
सही उत्तर: (B) भीड़ और निंदा से
💡 टिप: उन्होंने कहा था 'बाज़ार की मक्खियों' (निंदकों) से दूर रहो।
12. 'अपव्यय' शब्द का सही अर्थ क्या है?
Vocab 2024
सही उत्तर: (B) फिजूलखर्ची (व्यर्थ खर्च)
💡 टिप: ईर्ष्यालु व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति का 'अपव्यय' करता है।
13. रामधारी सिंह 'दिनकर' को किस रचना के लिए 'ज्ञानपीठ' मिला?
2017, 2021
सही उत्तर: (C) उर्वशी
💡 टिप: 'संस्कृति के चार अध्याय' के लिए साहित्य अकादमी मिला था।
14. ईर्ष्या का संबंध मुख्य रूप से किससे होता है?
Conceptual
सही उत्तर: (C) प्रतिद्वंद्विता (Competition) से
💡 टिप: हम उसी से जलते हैं जो हमारी बराबरी का होता है।
15. ईर्ष्यालु व्यक्ति समाज में कैसा बन जाता है?
Imp
सही उत्तर: (B) हंसी का पात्र
💡 टिप: लोग अंत में उससे दूर भागने लगते हैं।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
💡 टिप: इन्हें 'समय सूर्य' और 'अनल कवि' भी कहा जाता है।
💡 टिप: ईर्ष्यालु व्यक्ति ही सबसे बड़ा निंदक होता है।
💡 टिप: फालतू बातों को छोड़कर अपने काम पर ध्यान देना ही अनुशासन है।
💡 टिप: यह उस आग की तरह है जो अपने ही घर को जलाती है।
💡 टिप: चिंता जीवित इंसान को तिल-तिल कर मारती है।
💡 टिप: यह एक विचारात्मक और मनोवैज्ञानिक निबंध है।
💡 टिप: वकील साहब अपने पड़ोसी बीमा एजेंट से जलते थे।
💡 टिप: इंसान निंदा से नहीं, बल्कि अपने अच्छे गुण खोने से गिरता है।
💡 टिप: बच्चे अक्सर इसे दिनकर जी का कथन मान लेते हैं, पर यह विद्यासागर जी का है।
💡 टिप: ईर्ष्यालु व्यक्ति अपने सुख को भूलकर दूसरों के सुख से दुखी होता है।
💡 टिप: उन्होंने कहा था 'बाज़ार की मक्खियों' (निंदकों) से दूर रहो।
💡 टिप: ईर्ष्यालु व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति का 'अपव्यय' करता है।
💡 टिप: 'संस्कृति के चार अध्याय' के लिए साहित्य अकादमी मिला था।
💡 टिप: हम उसी से जलते हैं जो हमारी बराबरी का होता है।
💡 टिप: लोग अंत में उससे दूर भागने लगते हैं।
छात्रों, 'ईर्ष्या, तू न गई मेरे मन से' पाठ केवल परीक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सीखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। 2025 की बोर्ड परीक्षा में इस पाठ से संदर्भ सहित व्याख्या आने की प्रबल संभावना है। ऊपर दिए गए गद्यांश 1 और 3 को विशेष रूप से तैयार करें।
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